चीतों को हिरण को परोसने पर बिश्नोई समाज (Bishnoi Community) आहत, पीएम मोदी को पत्र लिख रखी ये मांग

 चीतों को हिरण को परोसने पर बिश्नोई समाज आहत, पीएम मोदी को पत्र लिख रखी ये मांग

मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित जंगलों में नामीबिया से आए चीतों के भोजन के लिए बड़ी संख्या में हिरनो को भेजे जाने के बाद बिश्नोई समुदाय से जुड़ी संस्था अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए प्रधानमंत्री के नाम पत्र भेजा है.. इसके अलावा  इसी समुदाय से जुड़ी एक अन्य संस्था ने आदेश वापिस ना लेने पर प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में विरोध जताने की बात भी कही है.


चीतों के लिए हिरण को परोसने पर बिश्नोई समाज आहत, पीएम मोदी को पत्र लिख रखी ये मांग


Jhalko Bikaner] जयपुर।  ध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में नामीबिया से लाए 8 चीतों की भूख मिटाने के लिए राजगढ़ के जंगल से 181 चीतल श्योपुर भेजने पर बिश्नोई समाज (Bishnoi Community) ने विरोध दर्ज करवाया है. इस संबंध में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बिश्नोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर नाराजगी जताई है. बिश्नोई ने पत्र के मार्फ़त प्रधानमंत्री मोदी को इस फैसले से समाज के आहत होने बताया.

गोकि नामीबिया से लाए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में विलुप्त प्रजाति को पुनर्स्थापित करने के लिए छोड़ा है. इन चीतों की भूख मिटाने के लिए चीतल, हिरण इत्यादि की पार्क में बाड़ेबंदी की गई है. 


बिश्नोई समाज है प्रकृति उपासक


15 वीं शताब्दी में गुरु जाम्भोजी द्वारा स्थापित बिश्नोई समाज हमेशा से प्रकृति हितैषी समुदाय के रुप में जाना जाता है. जाम्भोजी ने बिश्नोई बने लोगों को 29 नियम बताए जिनका पालन प्रत्येक बिश्नोई के लिए अनिवार्य है. इन नियमों में 8 नियम प्रकृति, पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन से संबंधित है. जाम्भोजी के सिद्धांतों पर चलते हुए अनेक बिश्नोईयों ने हरे वृक्ष व वन्यजीवों को अपनी जान देकर भी बचाया है.

बिश्नोई जीवन की कीमत पर उनकी रक्षा के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध है जो एक प्रसिद्ध तथ्य है. इतना ही नहीं बिश्नोई समाज की महिलाएं मातृत्व विहिन हिरण के बच्चों को अपना दूध पिलाकर उसे जीवनदान देने में सदैव अपना धर्म समझती है. बिश्नोई हिरण के बच्चों को अपने पुत्र सा प्रेम करते हैं. इस समुदाय की इन वन्यजीवों में गहरी धार्मिक आस्था है हिरणों की पूजा की जाती है. 



 चीतों के संवर्धन में चीतल को परोसना गलत


वहीं बिश्नोई समाज की एक और संस्था अखिल भारतीय बिश्नोई जीव रक्षा सभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री व राज्य वन्यजीव प्रकोष्ठ सचिव, भोपाल के नाम पत्र लिख ‘चीतों को चितल न परोसने का आग्रह किया है.’


बाघ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 (अधिनियम) की अनुसूची 1 में आने वाले वन्यजीव हैं और इस वन्यजीव का शिकार पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसी प्रकार चिंकारा और काले हिरण भी उक्त अधिनियम की अनुसूची 1 (क्रमशः मद 5बी और 2) में आते हैं और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए शिकार और उनके अस्तित्व को नुकसान स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है। (चिंकारा को उनके अस्तित्व की रक्षा के लिए 1977 में संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था,

ऐसे में इन जानवरों को न केवल अवैध शिकार से बल्कि उनके अस्तित्व को होने वाले किसी भी नुकसान से बचाने के लिए, केंद्र और राज्य दोनों की सरकार की जिम्मेदारी है।

चीतों को बचाने और बढाने के नाम पर उन्हें चिंकारा, काले हिरण आदि जैसे अन्य संरक्षित वन्यजीवों का जीवन दांव पर लगाना सही नहीं है. क्योंकि दोनों विलुप्ति के कगार पर और संरक्षित क्षेणी में हैं. यह भी पता चला है कि कुनो अभयारण्य में पहले से ही चिंकारा सहित बड़ी संख्या में वन्यजीव हैं, तो अन्य संरक्षित अभयारण्यों से चिंकारा और काले हिरण लाने का काम किसी भी तरह से उचित नहीं है, यह इन निर्दोष जानवरों का अप्रत्यक्ष शिकार है


शिवराज बिश्नोई, राष्ट्रीय प्रवक्ता

अखिल भारतीय बिश्नोई जीव रक्षा सभा



फैसले को वापस लेने की अपील


बिश्नोई समाज‌ की संस्थाओं ने पत्र के माध्यम से बिश्नोई समाज की आस्था व धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध व विलुप्ति की कगार पर अनुसूचि 1 के तहत‌ संरक्षित हिरणों को चीतों को परोसने के इस फैसले को वापस लेने की अपील की है.

  

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